'कही कही से हर चेहरा तुम जैसा लगता है,
तुमको भूल न पाएंगे हम ऐसा लगता है ऐसा भी'
' एक रंग है जो करता है बाते भी जो भी ,
इसको पहन ले वो अपना सा लगता है',
' तुम क्या बिछड़े भूल गए रिश्तो की शराफत हम,
जो भी मिलता है कुछ दिन ही अच्छा लगता है '
'अब भी यूं मिलते है हमसे फूल चमेली के,
जैसे इनसे अपना कोई रिश्ता लगता है '
'और तो सब कुछ ठीक है लेकिन कभी -कभी यूं ही,
चलता फिरता शहर अचानक तन्हा लगता है'
तुमको भूल न पाएंगे हम ऐसा लगता है ऐसा भी'
' एक रंग है जो करता है बाते भी जो भी ,
इसको पहन ले वो अपना सा लगता है',
' तुम क्या बिछड़े भूल गए रिश्तो की शराफत हम,
जो भी मिलता है कुछ दिन ही अच्छा लगता है '
'अब भी यूं मिलते है हमसे फूल चमेली के,
जैसे इनसे अपना कोई रिश्ता लगता है '
'और तो सब कुछ ठीक है लेकिन कभी -कभी यूं ही,
चलता फिरता शहर अचानक तन्हा लगता है'
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