Saturday, April 18, 2015

नहीं मांगता ऐ खुदा कि,
जिंदगी सौ साल की दे...
दे भले चंद लम्हों की,
लेकिन कमाल की दे...




‬: यादो में न ढूंढो हमे,
मन में हम बस जायेंगे.
तमन्ना हो अगर मिलने की,
तो हाथ रखो 'दिल' पर.
हम धड़कनों में मिल जायेंगे.




‬: तुम तसल्ली न दो सिर्फ बैठे रहो वक़्त कुछ मेरे मरने का टल जायेगा
क्या ये कम है मसीहा के होने से ही मौत का भी इरादा बदल जायेगा




ज़िक्र हुआ जब खुदा की रहमतों का,
हमने खुद को खुशनसीब पाया,
तमन्ना थी एक प्यारे से दोस्त की,
खुदा खुद दोस्त बनकर चला आया."




 फ़रिश्ते ही होंगे जिनका इश्क मुकम्मल
होता है ,
हमने तो यहाँ इंसानों को बस बर्बाद
होते देखा है !




 कुछ उलझे सवालो से डरता हे दिल
जाने क्यों तन्हाई में बिखरता हे दिल
किसी को पाने कि अब कोई चाहत न रही
बस कुछ अपनों को खोने से डरता हे ये दिल



ये तो शौक है मेरा अपने दर्द को लफ़्ज़ों मैं बयाँ करने का;
नादान है वो लोग जो मुझे आज भी शायर समझते हैं!!




 ज़िन्दगी मिलती हैं एक बार
मौत आती हैं एक बार
दोस्ती होती हैं एक बार
प्यार होता हैं एक बार
दिल टूटता हैं एक बार
जब सब कुछ होता हैं एक बार

…तो फिर आपकी याद क्यों आती हैं बार बार???



रिश्ते तोड देती हैं गलतफहमियां,
इन्सान को तनहा कर देती हैं गलतफहमियां,
ना आने देना दिल के पास कभी इनको,
क्योंकि दोस्त को दोस्त से जुदा कर देती हैं गलतफहमियां |"



 कोई तो लिखता होगा
कागज़-पत्थरों का नसीब..
वरना यह मुमकिन नहीं..
कोई पत्थर ठोकर खाए,
कोई भगवान हो जाए..
कोई कागज़ रद्दी बने ..
कोई गीता-कुरान हो जाए ....



मुद्दत से कोई शख्स रुलाने नहीं आया;
जलती हुई आँखों को बुझाने नहीं आया;
जो कहता था कि रहेंगे उम्र भर साथ तेरे;
अब रूठे हैं तो कोई मनाने नहीं आया
🌹🌿🍃🌱🌴🍁

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