'इंसान' एक दुकान है,
और 'जुबान' उसका ताला;
जब ताला खुलता है, तभी मालुम पड़ता है;
कि दूकान 'सोने' कि है,
या 'कोयले
एक दिन मैं कॉलेज से घर आने के लिये निकला
आसमान में बादल थे...
लग रहा था कि बारिश होने वाली थी...
इसलिए सोचा कि घर जल्दी पहुँच जाऊँ पर रास्ते में ही बारिश शुरू हो गई और
मैं भीग गया...!!!
.
घर जाते ही बड़ी बहन ने कहा -: "थोड़ी देर रुक नही सकते थे...??"
बड़े भाई ने कहा -: "कहीं साइड में खड़े हो जाते ...??"
पापा ने कहा -:
"खड़े कैसे हो जाते..!!
जनाब को बारिश में भीगने का शौक जो है..??"
इतने में मम्मी आई
और सिर पर टॉवेल रखते हुऐ
बोली -:
"ये बारिश भी ना...
थोड़ी देर रुक जाती
तो मेरा बेटा घर आ जाता...!!!"
'माँ' तो 'माँ' होती है...
••••••••••••••••••••••
और 'जुबान' उसका ताला;
जब ताला खुलता है, तभी मालुम पड़ता है;
कि दूकान 'सोने' कि है,
या 'कोयले
एक दिन मैं कॉलेज से घर आने के लिये निकला
आसमान में बादल थे...
लग रहा था कि बारिश होने वाली थी...
इसलिए सोचा कि घर जल्दी पहुँच जाऊँ पर रास्ते में ही बारिश शुरू हो गई और
मैं भीग गया...!!!
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घर जाते ही बड़ी बहन ने कहा -: "थोड़ी देर रुक नही सकते थे...??"
बड़े भाई ने कहा -: "कहीं साइड में खड़े हो जाते ...??"
पापा ने कहा -:
"खड़े कैसे हो जाते..!!
जनाब को बारिश में भीगने का शौक जो है..??"
इतने में मम्मी आई
और सिर पर टॉवेल रखते हुऐ
बोली -:
"ये बारिश भी ना...
थोड़ी देर रुक जाती
तो मेरा बेटा घर आ जाता...!!!"
'माँ' तो 'माँ' होती है...
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