वो एक ख़्वाब जो चेहरा
कभी नहीं बनता
बना के चांद उसे
आसमान में रखना ।
चमकते चाँद-सितारों का
क्या भरोसा है
ज़मीं की धूल भी अपनी
उड़ान में रखना ।
सवाल तो बिना मेहनत के
हल नहीं होते
नसीब को भी मगर
इम्तहान में रखना ।
कभी नहीं बनता
बना के चांद उसे
आसमान में रखना ।
चमकते चाँद-सितारों का
क्या भरोसा है
ज़मीं की धूल भी अपनी
उड़ान में रखना ।
सवाल तो बिना मेहनत के
हल नहीं होते
नसीब को भी मगर
इम्तहान में रखना ।
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