Sunday, July 26, 2015

वो एक ख़्वाब जो चेहरा
          कभी नहीं बनता
बना के चांद उसे
           आसमान में रखना ।

चमकते चाँद-सितारों का
          क्या भरोसा है
ज़मीं की धूल भी अपनी
          उड़ान में रखना ।


सवाल तो बिना मेहनत के
        हल नहीं होते
नसीब को भी मगर
          इम्तहान में रखना ।

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