Friday, July 31, 2015

एक बार एक व्यक्ति किसी के घर गया और अतिथि कक्ष मे बैठ गया।
वह खाली हाथ आया था तो उसने सोचा कि कुछ उपहार देना अच्छा रहेगा। तो उसने वहा टंगा चित्र उतारा और जब घर का स्वामी आया, उसने चित्र देते हुए कहा, यह मै आपके लिए लाया हुँ।

घर का स्वामी , जिसे पता था कि यह मेरी चित्र मुझे ही भेंट दे रहा है, सन्न रह गया...!!

अब आप ही बताएं कि क्या वह भेंट पा कर, जो कि पहले से ही उसका है, उस आदमी को प्रसन्न होना चाहिए ??

मेरे विचार से नहीं....
लेकिन यही चीज हम भगवान के साथ भी करते है। हम उन्हे रूपया, पैसा चढाते है और हर चीज जो उनकी ही बनाई है, उन्हें भेंट करते हैं | लेकिन मन मे भाव रखते है की ये चीज मै भगवान को दे रहा हूँ.., और सोचते हैं कि ईश्वर प्रसन्न हो जाएगें...!!

मूर्ख है हम...
हम यह नहीं समझते कि उनको इन सब चीजो कि आवश्यकता नही..!!

अगर आप सच मे उन्हे कुछ देना चाहते हैं तो अपनी श्रद्धा दीजिए, उन्हे अपने हर एक श्वास मे स्मरण कीजिये और विश्वास मानिए , प्रभु जरुर प्रसन्न होंगे !

चकित हूँ भगवन , तुझे कैसे रिझाऊं मैं,
कोई वस्तु नहीं ऐसी जिसे तुझ पर चढाऊं मैं...!!

भगवान ने उत्तर दिया : "संसार की हर वस्तु तुझे मैनें दी है। तेरे पास अपनी चीज सिर्फ तेरा अहंकार है, जो मैनें नहीं दिया, उसी को तूं मेरे अर्पण कर दे... तेरा जीवन सफल हो जाएगा !"

  🙏🙏🙏

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