सफ़र को जब भी किसी
दास्तान में रखना
क़दम यक़ीन में , मंज़िल
गुमान में रखना ।
जो साथ है वही घर का
नसीब है लेकिन
जो खो गया है उसे भी
मकान में रखना ।
जो देखती हैं निगाहें
वही नहीं सब कुछ
ये एहतियात भी अपने
बयान में रखना ।
दास्तान में रखना
क़दम यक़ीन में , मंज़िल
गुमान में रखना ।
जो साथ है वही घर का
नसीब है लेकिन
जो खो गया है उसे भी
मकान में रखना ।
जो देखती हैं निगाहें
वही नहीं सब कुछ
ये एहतियात भी अपने
बयान में रखना ।
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