Saturday, July 18, 2015

ज़िन्दगी के इस कश्मकश मैं
     वैसे तो मैं भी काफ़ी बिजी हुँ ,
     लेकिन वक़्त का बहाना बना कर ,
अपनों को भूल जाना मुझे आज भी नहीं आता !

जहाँ यार याद न आए वो तन्हाई किस काम की,
बिगड़े रिश्ते न बने तो खुदाई किस काम की,
बेशक अपनी मंज़िल तक जाना है ,

           पर जहाँ से अपना दोस्त ना दिखे
               वो ऊंचाई किस काम की!!! "हर् स्कूल में लिखा होता है, "
"ऊसूल " तोडना मना है .....!!
हर बाग में लिखा होता है ,
"फूल " तोडना मना है ..!!
हर खेल मैं लिखा होता है ,
"रूल " तोडना मना है ..!!
.
.
काश ..!!
.
.
रिश्ते,परिवार ,दोस्ती मैं
भी लिखा होता की ..,
किसी का "दिल "
तोडना मना है ..!👌👌

No comments:

Post a Comment