Sunday, September 21, 2014

 वफ़ा के नाम से वो अनजान थे, किसी की बेवफाई से शायद परेशान थे, हमने वफ़ा देनी चाही तो पता चला, हम खुद बेवफा के नाम से बदनाम थे.


लोग अपना बना के छोड़ देते हैं,अपनों से रिशता तोड़ कर गैरों से जोड़ लेते हैं,हम तो एक फूल ना तोड़ सके,नाजाने लोग दिल कैसे तोड़ देते हैं|



बेवफाई तेरी आज मिटा कर आया हुँ...
खत तेरे पानी मेँ बहा कर आया हुँ...

कोई पढ़ न ले तेरी बेवफाई के अफसाने..
इस लिए पानी मे भी आग लगा के आया हुँ....


जिनकी याद में हम दीवाने हो गए,वो हम ही से बेगाने हो गए,शायद उन्हें तालाश है अब नये प्यार की,क्यूंकि उनकी नज़र में हम पुराने हो गए|


 चाँद का क्या कसूर अगर रात बेवफा निकली,कुछ पल ठहरी और फिर चल निकली,उन से क्या कहे वो तो सच्चे थे,शायद हमारी तकदीर ही हमसे खफा निकली|



काटो के बदले फूल क्या दोगे,आँसू के बदले खुशी क्या दोगे,हम चाहते है आप से उमर भर की दोस्ती,हमारे इस शायरी का जवाब क्या दोगे?



 नशा हम किया करते है इलज़ाम शराब को दिया करते है…
कसूर शराब का नहीं उनका है जिनका चहेरा हम जाम मै तलाश किया करते है…


धोखा दिया था जब तूने मुझे, जिंदगी से मैं नाराज था,सोचा कि दिल से तुझे निकाल दूं, मगर कंबख्त दिल भी तेरे पास था.


 इस कदर हम उनकी मुहब्बत में खो गए, कि एक नज़र देखा और बस उन्हीं के हम हो गए, आँख खुली तो अँधेरा था देखा एक सपना था, आँख बंद की और उन्हीं सपनो में फिर सो गए.


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