ये खुदा तूने इंसान को क्या से क्या बना दिया ,
किसी को हीर तो किसी को राँझा बना दिया !
कितना बेबकूफ़ था शायजहाँ…………..
एक फूल का बोझ उठा नहीं सकती थी मुमताज ,
और उसके ऊपर ताज महल बनबा दिया !!
बड़ी मुश्किल से बना हूँ टूट जाने के बाद,
मैं आज भी रो देता हूँ मुस्कुराने के बाद
तुझसे मोहब्बत थी मुझे बेइन्तहा लेकिन,
अक्सर ये महसूस हुआ तेरे जाने के बाद
अब तक ढून्ढ रहा हूँ मैं अपने अन्दर के उस शख्स को,
जो नज़र से खो गया है नज़र आने के बाद ..
लोग हर मोड़ पे रुक-रुक के संभलते क्यों हैं
इतना डरते हैं तो फिर घर से निकलते क्यों हैं
मैं न जुगनू हूँ, दिया हूँ न कोई तारा हूँ
रोशनी वाले मेरे नाम से जलते क्यों हैं
पिंजरे के पंछी रे, तेरा दर्द ना जाने कोय
कह ना सके तू अपनी कहानी
तेरी भी पंछी क्या ज़िन्दगानी रे
विधि ने तेरी कथा लिखी आंसू में कलम डुबोय
तेरा दर्द ना जाने कोय, तेरा दर्द ना जाने कोय
किसी को हीर तो किसी को राँझा बना दिया !
कितना बेबकूफ़ था शायजहाँ…………..
एक फूल का बोझ उठा नहीं सकती थी मुमताज ,
और उसके ऊपर ताज महल बनबा दिया !!
बड़ी मुश्किल से बना हूँ टूट जाने के बाद,
मैं आज भी रो देता हूँ मुस्कुराने के बाद
तुझसे मोहब्बत थी मुझे बेइन्तहा लेकिन,
अक्सर ये महसूस हुआ तेरे जाने के बाद
अब तक ढून्ढ रहा हूँ मैं अपने अन्दर के उस शख्स को,
जो नज़र से खो गया है नज़र आने के बाद ..
लोग हर मोड़ पे रुक-रुक के संभलते क्यों हैं
इतना डरते हैं तो फिर घर से निकलते क्यों हैं
मैं न जुगनू हूँ, दिया हूँ न कोई तारा हूँ
रोशनी वाले मेरे नाम से जलते क्यों हैं
पिंजरे के पंछी रे, तेरा दर्द ना जाने कोय
कह ना सके तू अपनी कहानी
तेरी भी पंछी क्या ज़िन्दगानी रे
विधि ने तेरी कथा लिखी आंसू में कलम डुबोय
तेरा दर्द ना जाने कोय, तेरा दर्द ना जाने कोय
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