Friday, September 12, 2014

 बरसो के बाद होती है मुलाकात
फिर भी रहती है दिल मे दिल की बात
नज़रो से करना पड़ता है प्यार
पर नज़र मिलने के लिए भी
करना पड़ता है इंतेज़ार

अपनो को दूर होते देखा ,
सपनो को चूर होते देखा !
अरे लोग कहते हे फ़िज़ूल कभी रोते नही ,
हमने फूलोँ को भी तन्हाइयोँ मे रोते दे

में खफा नहीं हूँ जरा उसे बता देना
आता जाता रहे यहाँ इतना समझा देना !
में उसके गम में शरीक हूँ
पर मेरा गम न उसे बता देना,
जिन्दगी कागज की किश्ती सही,
शक में न बहा देना !

 कभी आंसू कभी खुशी बेची
हम ग़रीबों ने बेक़सी बेची
चंद सांसें खरीदने के लिये
रोज़ थोड़ी सी ज़िन्दगी बेची


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