मेरे इश्क की इम्तिहान तो देख
कितना टूटकर चाहा तुझे
कि तिनका तिनका बिखर गई
न कोई गिला है न कोई शिकवा है
बस तेरे आँगन की तुलसी बनने का इरादा है
तेरे आँगन में बसती है रूह हमारी
बस तेरे दिल में जगह पाने का इरादा है
तू जगह दिल में दे न दे शिकायत नही
बस हर शाम तेरे दीदार का इरादा है
तेरे आँगन में ही कब्र खुदी है हमारी
बस उसी में दफ़न होने का इरादा है..
कितना टूटकर चाहा तुझे
कि तिनका तिनका बिखर गई
न कोई गिला है न कोई शिकवा है
बस तेरे आँगन की तुलसी बनने का इरादा है
तेरे आँगन में बसती है रूह हमारी
बस तेरे दिल में जगह पाने का इरादा है
तू जगह दिल में दे न दे शिकायत नही
बस हर शाम तेरे दीदार का इरादा है
तेरे आँगन में ही कब्र खुदी है हमारी
बस उसी में दफ़न होने का इरादा है..
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