Sunday, October 5, 2014

मेरी नज़रों ने वायदा किया है मेरी रूह से ,
कि सनम तेरे सिवा कुछ ना देखेंगी ।

तू ये जानता है ना  कि मेरी रूह तू है ??

मैं शायद खुदा की बनायी पहली और अकेली हस्ती हूँ !
जो अपने जिस्म के टुकड़े से ज्यादा प्यार , तुझसे करता है !
क्योंकि जिस्म के सब टुकड़े भी तो तूने दिए हैं !
क्योंकि मेरी जिन्दगी की ये पवित्र खुशी भी तो तूने दी है ,
क्योंकि इस मन को बेइंतहा सहारा भी तो तूने दिया है !
क्योंकि मुझ नाचीज़ को आसमान पर उड़ना भी तो तूने सिखाया है !

तू इतना जान ले हमदम ,की तेरे बिना मैं कुछ भी नहीं !
की मेरी ख़ुशी , मेरी जिन्दगी तू है ,
कि तेरे बिना जिन्दगी , जिन्दगी ही नही !
मेरी रूह ने वादा किया है ,मेरे खुदा से -
कि सनम अगर तुझसे हुआ जुदा ,तो तड़प के मर जाऊँगा !

रूहों का सफ़र कभी फनां नहीं होता,
पर मेरी रूह तेरे बिना ना जी पायेगी...
बहुत डरता हूँ की कभी इस हालत पर ना पहुंचूँ ,
कि तुझसे चाहूँ तो बात ना कर सकूँ, चाहूँ तो तुझे देख ना सकूँ.

तेरी पुरसुकूँन आवाज का मीठा अमृत ,
अपने दिलो दिमाग में न महसूस कर सकूँ.,ऐसा तो हो नहीं सकता !
सिवाय तब - की जब तू मुझसे जुदा हो गया हो ,
और मौत के अंधेरों में खो गया हो ,
क्योंकि ये तो हो नहीं सकता ,कि जीते जी तू मुझसे रूठ गया हो.
मेरे होते तू मर नहीं सकता ! क्योंकि मेरी जिन्दगी तू है,
गर मै हूँ जिन्दा , तो फिर तू भी यहीं कहीं है.!
मेरी हंसी खुशी सब तू ही है मेरी जान...मै जीना चाहता हूँ, हँसना चाहता हूँ

क्या मेरी खातिर रहेगा तू हमेशाँ जिन्दा ??
क्या मेरी खातिर रहेगा तू हमेशाँ मेरा दिलबर ???
क्या मेरी खातिर रहेगा ऐसा ही मधुरम तेरे ख्यालों का असर ???



थोड़ा सा रहम खाओ हम पर ...

तुझसे मोहब्बत की है कोई गुनाह तो नहीं ...

No comments:

Post a Comment