एक मौलवी साहब
किसी महफिल मेँ उपदेश के
बारे मेँ बताते हुए कह रहे थे...
दूसरो की बीवी को देखना इस्लाम
मेँ हराम है अगर आप इस पर
कायम रहेँगे तो बदले मेँ
अल्लाह आप को जन्नत मेँ हूरेँ
अता फरमाएगा और वे हूरेँ
ऐसी होंगी ऐसी होंगी...कहते
कहते मौलाना जरा भावुक
हो गये...
और वे हूरेँ ऐसी होंगी कि अब
कैसे बताऊँ अपने शमीम
मियां की बीवी को देख लो
अल्लाह कसम
बिल्कुल हूर है हूर...
किसी महफिल मेँ उपदेश के
बारे मेँ बताते हुए कह रहे थे...
दूसरो की बीवी को देखना इस्लाम
मेँ हराम है अगर आप इस पर
कायम रहेँगे तो बदले मेँ
अल्लाह आप को जन्नत मेँ हूरेँ
अता फरमाएगा और वे हूरेँ
ऐसी होंगी ऐसी होंगी...कहते
कहते मौलाना जरा भावुक
हो गये...
और वे हूरेँ ऐसी होंगी कि अब
कैसे बताऊँ अपने शमीम
मियां की बीवी को देख लो
अल्लाह कसम
बिल्कुल हूर है हूर...
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