Sunday, October 26, 2014

‬ कैसा भी हमसफर हो सदियो से रास्ता बदलने में देर कितनी लगती है
मोम का तन लेकर धुप में निकल जाना, पिघलने में देर कितनी लगती है👤


 मै करता हूँ गम की जुस्तजु इसलिये
कि काँटो के खरीदार सभी नही होते
साहिल को ढूढने वाले ये जान ले
दरियां-ऐ-इश्क मे किनारे नही होते!!



कमाल का होंसला दीया रब ने हम इन्सानों को ये दोस्तों।
वाकिफ़ हम अगले पल से नही और वादे जन्मों के करते हैं।


बहुत खुबसूरत है आँखें तुम्हारी,
इन्हें बना दो किस्मत हमारी,
हमें नहीं चहिये ज़माने की खुशियाँ,
अगर मिल जाये मोहब्बत तुम्हारी...!!!👤

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