Saturday, October 25, 2014

 उनकी नफरत भरी नज़रों के तीर तो बस
हमारी जान लेने का बहाना था
दिल हमारा टुकड़े टुकड़े होकर बिखर गया
पूरी महफ़िल बोली वाह ! क्या निशाना था



‬: तैयार होने के बाद राजा बाबू वाली फीलिंग
तो तभी आती थी जब माँ नहला धुला पाउडर लगाने के
बाद,
ठुड्डी पकड़ के साइड से मांग निकाल के बाल
बनाती थी
Miss u maa🔶🔸



 फिर नहीं बसते वो दिल जो
एक बार उजड़ जाते है ,
कब्रें जितनी भी सजा लो पर
कोई ज़िंदा नहीं होता …




ज़हर देता है तो दे, ज़ालिम मगर तसकीन को
इसमें कुछ तो चाशनी हो शरब-ए-दीदार की
बाद मरने के मिली जन्नत ख़ुदा का शुक्र है
मुझको दफ़नाया रफ़ीक़ों ने गली में यार की



दोस्ती वो नहीं जो जान देती है,
दोस्ती वो भी नहीं जो मुस्कान देती है,
अरे सच्ची दोस्ती तो वो है..
जो पानी में गिरा हुआ आंसू भी पहचान लेती है |


तारे है अनेक पर आज है चाँद की बारी
फूल है कई पर वो तो गुलाब है हमारी
उनकी एक मुस्कान पे कुर्बान है ज़िंदगी सारी
और उनकी पलको की छाओ में जन्नत है हमारी…


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