Tuesday, December 29, 2015

दर्द - ए- दिल  मेरा  अफ़साना  बन गया,    
मैकदे  में आना मेरा अफ़साना  बन गया।
 🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹
जाम  अभी  दिया  ही   था  साक़ी    ने,
उसे लबों तक लाना मेरा अफ़साना बन गया।
 🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹
दिलबर  मेरा  जो  रूठा हुआ  था   मुझसे,
उसको  मनाना  मेरा  अफ़साना बन  गया।
 🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹
बड़े  नाज़ों  से  वो  आये  बज़्म  में मेरी,
सिजदे  में आना  मेरा अफ़साना बन गया।
 🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹
सारे  ज़माने  ने   देखा     नूर-ए-कृष्णा,
नज़र  उठाना  मेरा  अफ़साना  बन गया।🌹🌹🌹🌹

No comments:

Post a Comment