दर्द - ए- दिल मेरा अफ़साना बन गया,
मैकदे में आना मेरा अफ़साना बन गया।
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जाम अभी दिया ही था साक़ी ने,
उसे लबों तक लाना मेरा अफ़साना बन गया।
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दिलबर मेरा जो रूठा हुआ था मुझसे,
उसको मनाना मेरा अफ़साना बन गया।
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बड़े नाज़ों से वो आये बज़्म में मेरी,
सिजदे में आना मेरा अफ़साना बन गया।
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सारे ज़माने ने देखा नूर-ए-कृष्णा,
नज़र उठाना मेरा अफ़साना बन गया।🌹🌹🌹🌹
मैकदे में आना मेरा अफ़साना बन गया।
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जाम अभी दिया ही था साक़ी ने,
उसे लबों तक लाना मेरा अफ़साना बन गया।
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दिलबर मेरा जो रूठा हुआ था मुझसे,
उसको मनाना मेरा अफ़साना बन गया।
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बड़े नाज़ों से वो आये बज़्म में मेरी,
सिजदे में आना मेरा अफ़साना बन गया।
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सारे ज़माने ने देखा नूर-ए-कृष्णा,
नज़र उठाना मेरा अफ़साना बन गया।🌹🌹🌹🌹
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