Saturday, December 26, 2015

Dedicated shayari for relatives....
एक दामाद सर्दियों के दिनों में अपने ससुराल गया, तो खानदान में रिवाज़ ये था कि दामाद अपनी पत्नी से मिलना तो दूर आमने सामने देख भी नहीं सकता था .
तो दामाद ने इशारे में दो पंक्तिया कहीं कि
"उड़ता पंछी बोल रहया सै अबकी पाला खूब पड़ेगा
दो-दो जणे मिल के सोइयो,
नहीं तै एक जरूर मरेगा "
सास समझ गई कि दामाद
क्या इशारा कर रहा है तो उसने
भी जवाब दिया
"पत्नी संग बहन सोवेगी, और तेरे
संग तेरा साला
मैं बूढे संग पड़ी रहूगीं , के कर
लेगा पाला "

😜😝😝😆😆

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