Tuesday, July 5, 2016

एक पति की आपबीती
कल आ गई पत्नी सफर से। बैग रखा और घर को निहारा...
साफ था एकदम से घर...
फिर रसोई में गई....
सब कुछ अपने स्थान पर....
बर्तन साफ करके अलमारी में रखे हुए थे....
सिंक चमाचम थी।
अचरज था चेहरे पर...
इधर उधर अलमारी,दराज खोली....देखी...सब ओके।
मुस्कराते मुखड़े के साथ मेरे गले लग गई। कंधे पर पानी की बूंद गिरी।
मैंने पूछा,क्या हुआ? सफर तो ठीक था! किसी से कोई बात तो नहीं हुई!
वह हंसते हुए बोली,"जी सब ठीक है। ये तो खुशी के आंसू थे। मुझे तो आज मालूम हुआ कि आपको इतना काम आता है।"
"कमाल है....कभी आपने जिक्र ही नहीं किया। मैं तो ऐसे ही बाई बाई का वहम पाले हुए थी। अब बाई रखने की बात कभी नहीं करूंगी।"
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शिक्षा—अपनी बीबी को इंप्रेस करने की कोशिश ना करो।

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