Wednesday, September 17, 2014

"उसकी पलकों से आँसू को चुरा रहे थे हम, उसके ग़मोको हंसींसे सजा रहे थे हम, जलाया उसी दिए ने मेरा हाथ जिसकी लो को हवासे बचा रहे थे हम"



 मोहब्बत का नतीजा दुनिया में हमने
बुरा देखा है ,
जिन्हे दावा था वफ़ा का उन्हें भी हमने
बेवफा देखा है ....!


: बचपन में जब धागों के बीच माचिस
को फसाकर फोन-फोन खेलते थे...

तो मालूम नहीं था एक दिन इस फोन
में जिन्दगी सिमटती चली जायेगी...!!


 "काश कोई हम पर प्यार जताता, हमारी आंखों को अपने होंठों से छुपाता, हम जब पूछते कौन हो तुम, मुस्कुरा कर वो अपने आप को हमारी जान बताता"



 शायद ये ज़माना
उन्हे भी पूजने लगे...
कुछ लोग इसी ख़याल से
पत्थर के होने लगे...



‬: दो ल्फज मेरे अजीज दोस्तो के नाम....
                 
" अपनी दोस्ती का बस इतना सा असूल है...
ज़ब तू कुबूल है तो तेरा सब कुछ कुबूल है ।। "


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