"बक्श देता है'खुदा'उनको,
जिनकी'किस्मत'ख़राब होती है...
वो हरगिज नहीं'बक्शे'जाते है,
जिनकी नियत खराब होती है.
कोई रो कर दिल बहलाता है और कोई हँस
कर दर्द छुपाता है.
क्या करामात है कुदरत की, ज़िंदा इंसान
पानी में डूब जाता है और मुर्दा तैर के
दिखाता है.
मौत को देखा तो नहीं, पर शायद वो बहुत
खूबसूरत होगी,
कम्बख़त जो भी उस से मिलता है,
जीना छोड़ देता है..
ग़ज़ब की एकता देखी लोगों की ज़माने
में .
ज़िन्दों को गिराने में और मुर्दों को उठाने
में .."
जिनकी'किस्मत'ख़राब होती है...
वो हरगिज नहीं'बक्शे'जाते है,
जिनकी नियत खराब होती है.
कोई रो कर दिल बहलाता है और कोई हँस
कर दर्द छुपाता है.
क्या करामात है कुदरत की, ज़िंदा इंसान
पानी में डूब जाता है और मुर्दा तैर के
दिखाता है.
मौत को देखा तो नहीं, पर शायद वो बहुत
खूबसूरत होगी,
कम्बख़त जो भी उस से मिलता है,
जीना छोड़ देता है..
ग़ज़ब की एकता देखी लोगों की ज़माने
में .
ज़िन्दों को गिराने में और मुर्दों को उठाने
में .."
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