««« RAJ KI BAAT »»»
कभी-कभी मेरे दिल
में सवाल आता है
कि तोता तो मिर्ची
खा के भी मीठा बोलता है,
इंसान इतनी महंगी चीनी
खाने के बावजूद
भी कड़वा कैसे बोल जाता है !!
««« RAJ KI BAAT »»»
मनुष्य का अपना क्या है ?
जन्म दूसरे ने दिया,
नाम दूसरे ने दिया ,
शिक्षा दूसरे ने दी ,
काम करना भी दूसरे ने सिखाया ,
अन्त में श्मशान भी दूसरे ले जायेंगें
तुम्हारा अपना इस संसार में क्या है ?
जो तुम घमंड करते हो,
हम मौत से खिलवाड़ किया करते हैं
शंकर की तरह जहर पिया करते हैं
हम उनमें नहीं, जो जीते जी मर जाएँ
हम वे हैं जो मर-मर के जिया करते हैं
दुख के जंगल में फिरते हैं कब से मारे मारे लोग
जो होता है सह लेते हैं कैसे हैं बेचारे लोग
जीवन-जीवन हमने जग में खेल यही होते देखा
धीरे-धीरे जीती दुनिया धीरे-धीरे हारे लोग
दोस्ती इस तरह करो कि लोग वाह वाह करने पर मजबुर हो जाए,
प्यार इस तरह करो कि दुनिया को उसके सामने सर झुकाना मंजुर हो जाए.
तेरे खुशबू में बसे ख़त मैं जलाता कैसे
प्यार में डूबे हुए ख़त मैं जलाता कैसे
तेरे हाथों के लिखे ख़त मैं जलाता कैसे
तेरे ख़त आज मैं गंगा में बहा आया हूं
आग बहते हुए पानी में लगा आया हूं
कभी-कभी मेरे दिल
में सवाल आता है
कि तोता तो मिर्ची
खा के भी मीठा बोलता है,
इंसान इतनी महंगी चीनी
खाने के बावजूद
भी कड़वा कैसे बोल जाता है !!
««« RAJ KI BAAT »»»
मनुष्य का अपना क्या है ?
जन्म दूसरे ने दिया,
नाम दूसरे ने दिया ,
शिक्षा दूसरे ने दी ,
काम करना भी दूसरे ने सिखाया ,
अन्त में श्मशान भी दूसरे ले जायेंगें
तुम्हारा अपना इस संसार में क्या है ?
जो तुम घमंड करते हो,
हम मौत से खिलवाड़ किया करते हैं
शंकर की तरह जहर पिया करते हैं
हम उनमें नहीं, जो जीते जी मर जाएँ
हम वे हैं जो मर-मर के जिया करते हैं
दुख के जंगल में फिरते हैं कब से मारे मारे लोग
जो होता है सह लेते हैं कैसे हैं बेचारे लोग
जीवन-जीवन हमने जग में खेल यही होते देखा
धीरे-धीरे जीती दुनिया धीरे-धीरे हारे लोग
दोस्ती इस तरह करो कि लोग वाह वाह करने पर मजबुर हो जाए,
प्यार इस तरह करो कि दुनिया को उसके सामने सर झुकाना मंजुर हो जाए.
तेरे खुशबू में बसे ख़त मैं जलाता कैसे
प्यार में डूबे हुए ख़त मैं जलाता कैसे
तेरे हाथों के लिखे ख़त मैं जलाता कैसे
तेरे ख़त आज मैं गंगा में बहा आया हूं
आग बहते हुए पानी में लगा आया हूं
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