Tuesday, July 7, 2015

चलो कुछ पुराने दोस्तों के,
दरवाज़े खटखटाते हैं;

देखते हैं उनके पँख थक चुके है,
या अभी भी फड़फड़ाते हैं;

हँसते हैं खिलखिलाकर,
या होंठ बंद कर मुस्कुराते हैं;

वो बता देतें हैं सारी आपबीती,
या सिर्फ सफलताएं सुनाते हैं;

हमारा चेहरा देख वो,
अपनेपन से मुस्कुराते हैं;

या घड़ी की और देखकर,
हमें जाने का वक़्त बताते हैं;

चलो कुछ पुराने दोस्तों के,
दरवाज़े खटखटाते हैं !


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