मुझे एक मित्र ने भेजा है,
बहुत अच्छी लगी,
आप भी पढ़ें...
ये जो "छोटू" होते हैं न ?
जो चाय दुकानों या होटलों
वगैरह में काम करते हैं,
वास्तव में ये अपने घर के
"बड़े" होते हैं,
कल मै एक ढाबे पर डिनर करने गया,
वहाँ एक छोटा सा लडका था जो ग्राहकों
को खाना खिला रहा था,
कोई 'ऐ छोटू' कह कर बुलाता,
तो कोई 'अरे छोटू'
वो नन्ही सी जान ग्राहकों के बीच जैसे
उल्झ कर रह गयी हो,
यह सब मन को काट रहा था,
मैने छोटू
को छोटू जी कहकर अपनी तरफ बुलाया,
वह भी प्यारी सी मुस्कान लिये मेरे पास
आकर बोला साहब जी क्या खाओगे,
मैने कहा साहब नही भैया बोल
तब ही बताऊगाँ,
वो भी मुस्कुराया
और
आदर के साथ बोला:-
"भैया आप क्या खायेंगे ..?"
मैने खाना आर्डर किया
और खाने लगा
छोटू जी के लिये अब मैं
ग्राहक से जैसे
मेहमान बन चुका था
वो मेरी एक आवाज पर दौड़ा चला आता
और प्यार से पूछता:-
"भैया और क्या लाऊँ..!"
"खाना अच्छा तो लगा ना आपको..?"
और मैं कहता:-" हाँ छोटू जी आपके इस प्यार ने खाना और स्वादिष्ट कर दिया..!"
खाना खाने के बाद मैने बिल चुकाया
और 100 रू छोटूजी की हाथ पर रखकर कहा:-
"ये तुम्हारे हैं, रख लो और मालिक से मत कहना..!"
वो खुश होकर बोला:-"जी
भैया..!"
फिर मैने पूछा:-
" क्या करोगे इन पैसों का..?"
वो खुशी से बोला:-
"आज माँ के लिये चप्पल ले जाऊगाँ,
4 दिन से माँ के पास चप्पल नही है,खाली पैर ही चली जाती
हैं, साहब लोग के यहाँ बर्तन माँजने..!"
उसकी ये बात सुन मेरी आँखे भर आयी
मैने पूछा घर पर कौन कौन है,
तो बोला:-
" माँ है, मै और छोटी बहन है,
पापा भगवान के पास चले गये..!
मेरे पास कहने को अब कुछ नही रह गया था,
मैने उसको कुछ पैसे और दिये
और बोला:-
आज आम ले जाना माँ के
लिये और माँ के लिये अच्छी सी चप्पल भी लाकर देना
बहन और अपने लिये
आईसक्रीम ले जाना,
और अगर माँ पूछे
'रूपये किस ने दिये..?"
तो कह
देना पापा ने एक भैया को भेजा था, वो दे गये ,
इतना सुन छोटू मुझसे लिपट गया और मैने भी उसको अपने सीने से लगा लिया।
वास्तव में छोटू अपने घर का बड़ा निकला,
पढाई की उम्र में घर का भार उठा रहा है,
ऎसे ही ना जाने कितने ही छोटू आपको
होटलों ढाबों या चाय की दुकान पर काम
करते मिल जायेंगे,
आप सभी से इतना निवेदन है कि उनको
नौकर की तरह ना बुलायें
थोडा प्यार से कहें
वो ज़रूर आप का काम जल्दी से कर देगें,
आप होटलो में भी तो टिप देते हैं,
तो प्लीज!
ऎसे छोटू जी की थोडी बहुत
मदद जरूर करें,
बालश्रम वैधानिक नही है,
इन्हें आप काम करने से छुड़वा भी नही सकते,अन्यथा वे और मुसीबत में पड़ जायेंगे,
क्योकि पेट भरने के लिए कमाना ही इनके लिये जीने का एकमात्र विकल्प होता है,
वरना इनमे से कुछ जरायमपेशा या नशे के आदी भी हो जाते हैं,
लेकिन प्यार का बर्ताव और टिप के थोड़े पैसे देकर हम इनकी थोड़ी मदद तो कर ही सकते हैं,
बहुत अच्छी लगी,
आप भी पढ़ें...
ये जो "छोटू" होते हैं न ?
जो चाय दुकानों या होटलों
वगैरह में काम करते हैं,
वास्तव में ये अपने घर के
"बड़े" होते हैं,
कल मै एक ढाबे पर डिनर करने गया,
वहाँ एक छोटा सा लडका था जो ग्राहकों
को खाना खिला रहा था,
कोई 'ऐ छोटू' कह कर बुलाता,
तो कोई 'अरे छोटू'
वो नन्ही सी जान ग्राहकों के बीच जैसे
उल्झ कर रह गयी हो,
यह सब मन को काट रहा था,
मैने छोटू
को छोटू जी कहकर अपनी तरफ बुलाया,
वह भी प्यारी सी मुस्कान लिये मेरे पास
आकर बोला साहब जी क्या खाओगे,
मैने कहा साहब नही भैया बोल
तब ही बताऊगाँ,
वो भी मुस्कुराया
और
आदर के साथ बोला:-
"भैया आप क्या खायेंगे ..?"
मैने खाना आर्डर किया
और खाने लगा
छोटू जी के लिये अब मैं
ग्राहक से जैसे
मेहमान बन चुका था
वो मेरी एक आवाज पर दौड़ा चला आता
और प्यार से पूछता:-
"भैया और क्या लाऊँ..!"
"खाना अच्छा तो लगा ना आपको..?"
और मैं कहता:-" हाँ छोटू जी आपके इस प्यार ने खाना और स्वादिष्ट कर दिया..!"
खाना खाने के बाद मैने बिल चुकाया
और 100 रू छोटूजी की हाथ पर रखकर कहा:-
"ये तुम्हारे हैं, रख लो और मालिक से मत कहना..!"
वो खुश होकर बोला:-"जी
भैया..!"
फिर मैने पूछा:-
" क्या करोगे इन पैसों का..?"
वो खुशी से बोला:-
"आज माँ के लिये चप्पल ले जाऊगाँ,
4 दिन से माँ के पास चप्पल नही है,खाली पैर ही चली जाती
हैं, साहब लोग के यहाँ बर्तन माँजने..!"
उसकी ये बात सुन मेरी आँखे भर आयी
मैने पूछा घर पर कौन कौन है,
तो बोला:-
" माँ है, मै और छोटी बहन है,
पापा भगवान के पास चले गये..!
मेरे पास कहने को अब कुछ नही रह गया था,
मैने उसको कुछ पैसे और दिये
और बोला:-
आज आम ले जाना माँ के
लिये और माँ के लिये अच्छी सी चप्पल भी लाकर देना
बहन और अपने लिये
आईसक्रीम ले जाना,
और अगर माँ पूछे
'रूपये किस ने दिये..?"
तो कह
देना पापा ने एक भैया को भेजा था, वो दे गये ,
इतना सुन छोटू मुझसे लिपट गया और मैने भी उसको अपने सीने से लगा लिया।
वास्तव में छोटू अपने घर का बड़ा निकला,
पढाई की उम्र में घर का भार उठा रहा है,
ऎसे ही ना जाने कितने ही छोटू आपको
होटलों ढाबों या चाय की दुकान पर काम
करते मिल जायेंगे,
आप सभी से इतना निवेदन है कि उनको
नौकर की तरह ना बुलायें
थोडा प्यार से कहें
वो ज़रूर आप का काम जल्दी से कर देगें,
आप होटलो में भी तो टिप देते हैं,
तो प्लीज!
ऎसे छोटू जी की थोडी बहुत
मदद जरूर करें,
बालश्रम वैधानिक नही है,
इन्हें आप काम करने से छुड़वा भी नही सकते,अन्यथा वे और मुसीबत में पड़ जायेंगे,
क्योकि पेट भरने के लिए कमाना ही इनके लिये जीने का एकमात्र विकल्प होता है,
वरना इनमे से कुछ जरायमपेशा या नशे के आदी भी हो जाते हैं,
लेकिन प्यार का बर्ताव और टिप के थोड़े पैसे देकर हम इनकी थोड़ी मदद तो कर ही सकते हैं,
No comments:
Post a Comment