Sunday, June 19, 2016


कभी थकन के असर का पता नहीं चलता
वो साथ हो तो सफ़र का पता नहीं चलता

वही हुआ कि मैं आँखों में उस की डूब गया
वो कह रहा था भंवर का पता नहीं चलता

उलझ के रह गया सेलाब करया-ए-दिल से
नहीं तो दीदा-ए-तर का पता नहीं चलता

उसे भी खिड़कियां खोले ज़माना बीत गया
मुझे भी शाम-ओ-सहर का पता नहीं चलता

ये मंसुबों का इलाक़ा है इस लिए शायद
किसी के नाम से घर का पता नहीं चलता


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