Sunday, June 19, 2016

लगता है फुर्सत में हो प्रभु,
जो हमे झुला झुला रहे हो !
अपनी बनाई दुनिया को
क्यों इतना हिला रहे हो !
सुना है हम सबको जीवन दिया है तुमने,
तुम माँ हो हमारी.....
फिर माँ होकर अपने बच्चो को क्यों डरा रहे हो !
मानता हूँ इन्सान शैतान हो गया है,
पर तुम तो प्रभु हो तुम क्यों शैतानी दिखा रहे हो !
बड़ा वक्त लगता है ये आशियाँ बनाने में,
जिसे तुम यूँही हिला हिला कर ढहा रहे हो !
मैं और तो कुछ नही कर सकता,
बस विनती करता हूँ आपसे.....
जैसे हो बस वैसे रहो,
जो हो नही ऐसा रूप क्यों दिखा रहे हो !
बच्चे हैं हम सब तुम्हारे,
क्यों जिंदगी हमारी कठिन बना रहे हो !
लगता है फुर्सत में हो प्रभु,
जो हमको इतना सता रहे हो !भूकम्प झटके से बच्चों को क्यो डरा रहे हो?

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