यूँ तो यारो
यूँ तो यारो थकान भारी है;
फिर भी ख़ुद की तलाश जारी है;
हम में हर इक में इक परिन्दा है;
और हर इक में इक शिकारी है;
लोग दुनिया में दुख से मरते हैं;
और दुख से हमारी यारी है;
कितने ख़ुश हैं, उन्हें कहाँ मालूम;
हमने क़स्दन ये बाज़ी हारी है;
दिल को बेमोल बेच आए हम;
अपनी-अपनी दुकानदारी है।
यूँ तो यारो थकान भारी है;
फिर भी ख़ुद की तलाश जारी है;
हम में हर इक में इक परिन्दा है;
और हर इक में इक शिकारी है;
लोग दुनिया में दुख से मरते हैं;
और दुख से हमारी यारी है;
कितने ख़ुश हैं, उन्हें कहाँ मालूम;
हमने क़स्दन ये बाज़ी हारी है;
दिल को बेमोल बेच आए हम;
अपनी-अपनी दुकानदारी है।
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