Saturday, June 25, 2016

मैं रूठा, तुम भी रूठ गए
फिर मनाएगा कौन ?
आज दरार है, कल खाई होगी फिर
भरेगा कौन ?
मैं चुप, तुम भी चुप
इस चुप्पी को फिर
तोडेगा कौन ?
बात छोटी सी लगा लोगे दिल से,
तो रिश्ता फिर
निभाएगा कौन ?
दुखी मैं भी और तुम भी बिछड़कर,
सोचो हाथ फिर
बढ़ाएगा कौन ?
न मैं राजी, न तुम राजी,
फिर माफ़ करने का बड़प्पन
दिखाएगा कौन ?
डूब जाएगा यादों में दिल कभी,
तो फिर धैर्य
बंधायेगा कौन ?
एक अहम् मेरे, एक तेरे भीतर भी,
इस अहम् को फिर
हराएगा कौन ?
ज़िंदगी किसको मिली है सदा के लिए ?
फिर इन लम्हों में अकेला रह
जाएगा कौन ?
मूंद ली दोनों में से गर किसी दिन एक ने आँखें....
तो कल इस बात पर फिर
पछतायेगा कौन?........


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