Sunday, June 19, 2016

फिर लौट आई थी वो बरसात की रात
तेरी याद दिलाने आई थी वो बरसात की रात!

मचल गयी थी धड़कने, सिमटा रहा हूँ जिसमे!
दबे दर्द को, जगाने आई थी वो बरसात की रात!

सुख रहे थे जख्म सारे, थोड़ी टिस सी बाकी रही थी बस
फिर मुझको सताने आई थी वो बरसात की रात!

खुद में ही जल रहा था, किनारे से चल रहा था!
संग मुझको बहाने आई थी वो बरसात की रात!

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