फिर लौट आई थी वो बरसात की रात
तेरी याद दिलाने आई थी वो बरसात की रात!
मचल गयी थी धड़कने, सिमटा रहा हूँ जिसमे!
दबे दर्द को, जगाने आई थी वो बरसात की रात!
सुख रहे थे जख्म सारे, थोड़ी टिस सी बाकी रही थी बस
फिर मुझको सताने आई थी वो बरसात की रात!
खुद में ही जल रहा था, किनारे से चल रहा था!
संग मुझको बहाने आई थी वो बरसात की रात!
तेरी याद दिलाने आई थी वो बरसात की रात!
मचल गयी थी धड़कने, सिमटा रहा हूँ जिसमे!
दबे दर्द को, जगाने आई थी वो बरसात की रात!
सुख रहे थे जख्म सारे, थोड़ी टिस सी बाकी रही थी बस
फिर मुझको सताने आई थी वो बरसात की रात!
खुद में ही जल रहा था, किनारे से चल रहा था!
संग मुझको बहाने आई थी वो बरसात की रात!
No comments:
Post a Comment