Sunday, June 26, 2016

जब भी होगी पहली बारिश,
तुमको सामने पायेंग़े..
वो बुंदो से भरा चेहरा,
तुम्हारा हम कैसे देख पायेंगे..
बहेगी जब भी सर्द हवाये,
हम खुद को तन्हा पायेंगे.....
एहसास तुम्हारे साथ का,
हम कैसे महसूस कर पायेंगे..
इस डुबती हुई ज़िन्दगी मे,
तो हम बिल्कुल ही रुक जायेंगे..
थाम लो हमे गिरने से पहले,
हम कैसे यूं जी पायेंग़े..
ले डुबेगा ये दर्द हमें,
और हम जीते जी मर जायेंगे ।


No comments:

Post a Comment