Saturday, May 2, 2015

वास्ता नही रखना तो फिर मुझपे नजर क्यूं रखता है.!!
!!.मैं किस हाल में जिंदा हूँ तू ये सब खबर क्यूं रखता है.!!
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!!.बात अगर फूलों की कलियों की गुलशन की करता है.!!
!!.अपने लब्जों में फिर छिपाकर तू पत्थर क्यूं रखता है.!!
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!!.अगर कुनबा ही समझता है तू इस पूरी दुनिया को.!!
!!.फिर ज़हन के कोने में सदा अपना घर क्यूं रखता है.!!
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!!.तू तो कहता है मैं दुखाता नही दिल किसी का भी.!!
!!.फिर खुदा तुम्हारी दुआओं को बेअसर क्यूं रखता है.!!
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!!.किसी को जीतने की कोशिश तू करना नही चाहता.!!
!!.बता फिर हारने का मन में अपने डर क्यूं रखता है.!!
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!!.इश्क इबादत है खुदा की जिसे तुमने ठुकरा दिया.!!
!!.फिर रोजाना दर पे जाकर उसके सर क्यूं रखता है.!!
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!!.तू मुझको छोड़ तो सकता है पर भुला नही सकता.!!
!!.बता बेचैन मेरा वजूद तुझे मुख्तसर क्यूं लगता है.!

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