वास्ता नही रखना तो फिर मुझपे नजर क्यूं रखता है.!!
!!.मैं किस हाल में जिंदा हूँ तू ये सब खबर क्यूं रखता है.!!
.
!!.बात अगर फूलों की कलियों की गुलशन की करता है.!!
!!.अपने लब्जों में फिर छिपाकर तू पत्थर क्यूं रखता है.!!
.
!!.अगर कुनबा ही समझता है तू इस पूरी दुनिया को.!!
!!.फिर ज़हन के कोने में सदा अपना घर क्यूं रखता है.!!
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!!.तू तो कहता है मैं दुखाता नही दिल किसी का भी.!!
!!.फिर खुदा तुम्हारी दुआओं को बेअसर क्यूं रखता है.!!
.
!!.किसी को जीतने की कोशिश तू करना नही चाहता.!!
!!.बता फिर हारने का मन में अपने डर क्यूं रखता है.!!
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!!.इश्क इबादत है खुदा की जिसे तुमने ठुकरा दिया.!!
!!.फिर रोजाना दर पे जाकर उसके सर क्यूं रखता है.!!
.
!!.तू मुझको छोड़ तो सकता है पर भुला नही सकता.!!
!!.बता बेचैन मेरा वजूद तुझे मुख्तसर क्यूं लगता है.!
!!.मैं किस हाल में जिंदा हूँ तू ये सब खबर क्यूं रखता है.!!
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!!.बात अगर फूलों की कलियों की गुलशन की करता है.!!
!!.अपने लब्जों में फिर छिपाकर तू पत्थर क्यूं रखता है.!!
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!!.अगर कुनबा ही समझता है तू इस पूरी दुनिया को.!!
!!.फिर ज़हन के कोने में सदा अपना घर क्यूं रखता है.!!
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!!.तू तो कहता है मैं दुखाता नही दिल किसी का भी.!!
!!.फिर खुदा तुम्हारी दुआओं को बेअसर क्यूं रखता है.!!
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!!.किसी को जीतने की कोशिश तू करना नही चाहता.!!
!!.बता फिर हारने का मन में अपने डर क्यूं रखता है.!!
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!!.इश्क इबादत है खुदा की जिसे तुमने ठुकरा दिया.!!
!!.फिर रोजाना दर पे जाकर उसके सर क्यूं रखता है.!!
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!!.तू मुझको छोड़ तो सकता है पर भुला नही सकता.!!
!!.बता बेचैन मेरा वजूद तुझे मुख्तसर क्यूं लगता है.!
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