Monday, December 7, 2015

तू मूझे नवाज़ता है, ये तेरा करम है मेरे खुदा,
वरना तेरी मेहरबानी के लायक मेरी इबादत कहाँ,
रोज़ गलती करता हू, तू छुपाता है अपनी बरकत से,
मै मजबूर अपनी आदत से, तू मशहूर अपनी रेहमत से!
मेरी इज्जत के लिए काफी है के मैं तेरा बंदा हूँ..I
और
मेरी फिक्र के लिए ये काफी है कि तू मेरा खुदा है..I
तू वैसा ही है जैसा मैं चाहता हूँ..I
बस.. मुझे वैसा बना दे जैसा तू चाहता है।

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