Thursday, November 20, 2014

तू मेरा दे या ना दे साथ मुझे चलना है
चाहे दिन हो या घोर रात मुझे चलना है

मैं तो सूरज की तरह हर घडी सफ़र में हूँ
छोड़कर तारों की बरात मुझे चलना है

तेरी मर्जी हो तो राहों में फूल रख देना
या मिले काँटों की सौगात मुझे चलना है

ज़िंदा रहना है तो चल,बोलकर गई आगे
कीमती है नदी की बात मुझे चलना है

हार के डर से चाल ना चलूँ मुमकिन ही नहीं
शह मिले या हो मेरी मात मुझे चलना है

कौन कहता है तुझे साथ में चलना होगा
छोड़ दे आज मेरा हाथ मुझे चलना है

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