Tuesday, November 18, 2014

एक आदमी का धंदा नहीं चल रहा था. उसने
सोचा शहर कि सबसे बडी दरगाह पर जाकर
कुछ मन्नत माँगता हूँ .वह उस बडी दरगाह पर
गया और अपने बारे में बताया. उस दरगाह के मालिक ने उसे एक
गधा दे
दिया और कहा, कि मैं आपको गधा देता हूँ
इसे ले जाओ,
ये आपके बहुत काम आएगा. वह नाराज़
हो गया और बोला "भला गधा भी कोई काम
की चीज़ है इसका मैं क्या करूंगा." दरगाह का मालिक बोला"
यह आपको बहुत
पैसा कमा कर देगा. किसी का सामान ले
जाओगे तो कुछ पैसै कमा लोगे . इसे अच्छी
तरह रखोगे, तो तुम्हे पैसे वाला बना देगा. "वह आदमी मान
गया और गधे को
अपने साथ गाँव ले आया .अगले दिन गधे
को ले कर निकल पडा. धोबी के कपडों को
घाट पर ले पहुँचाना था, ले गया; रेती ढोनी
थी, ढोई और भी कुछ काम किये,
अच्छे पैसे कमा लिए. दरगाह के मीलिक को मन ही मन धन्यवाद
दिया, वाकई गधा
बडे काम की चीज़ है . अगले दिन फिर से ज्यादा पैसे कमाए, अगले
दिन
और , और यह सिलसिला चलता रहा और
वह
कुछ सालों में धनी होने लगा. फिर एक दिन उसने सोचा, क्यों न
किसी
दूसरे बडे गाँव चलूँ जहाँ और भी ज्यादा
धन कमा सकूंगा.
वह गधे को ले कर दूसरे बडे गाँव चला गया.
कछ सालों में काफी धन कमा लिया . फिर सोचा अब
किसी शहर में चलता हूँ ,
जलदी से ज्यादा धनी बन जाऊंगा. सो वह
गधे को ले कर शहर चला आया. शहर ने
काफी साथ दिया.
कुछ सालों में काफी धनवान बन गया. अब सोचा इससे भी बडे
शहर चलता हूँ,
वहाँ तो जिंदगी ही बन जाएगी. बडा शहर
काफी दूर था. वह अपने गधे के साथ
चलता गया चलता गया........... लेकिन हाय, यह क्या
अजीब घटना हो गया ......
.....गधा मर गया...
वह फूट-फूट कर रोने लगा.
हाय यह क्या हो गया....यह तो साथ
छोड कर चला गया...अब मेरा क्या होगा.....बहुत अफसोस
किया....फिर
सोचा इसने मेरा इतना साथ दिया,
इसलिए इसे मैं ऐसे खुला जानवरों को
खाने के लिये नहीं छोडूगा. उसने एक गढा खोदा और उसे गधे को
गाढ दिया. उस पर मिट्टी डाल दी और
उसकी
कबर पर सिर रखकर रोने लगा. अचानक क्या देखा कि कबर के
पास कुछ पैसे
गिरे.
पता चला कि आते-जाते लोग कबर पर पैसे
डाल रह हैं .
वह खुश हो गया, कमाल है,
मरा हुआ गधा भी पैसे दिला रहा है. सो वहीं बैठ गया और हर-
रोज़ गुज़रने वाले
कबर पर पैसे चढने लगे . कुछ समय में उसने वह जगह पक्की कर ली.
यह कबर मशहूर हो गई. इतनी मशहूर हुई कि
खबर वहाँ तक पहुँची जहाँ से वह
गधा लाया था.
उस दरगाह के मालिक ने सोचा ऐसी कौन
सी नई दरगाहबन गई जो इतनी मशहूर हो गई .
चल कर एक बार देखना चाहिए. वह उस दरगाह तक पहुँचा, अंदर गया
और उस नई दरगाह के मालिक से मिला.
वह तुरंत पहचान गया कि यह तो वही
है जिस गधा दिया था. हैरान हुआ और
बोला-
"अरे तुम ! यहाँ कैसे ? इस दरगाह के मालिक ! यह सब कैसे ?
किस पीर की दरगाह है ? वह उसे अंदर के कमरे में ले गया और बोला
सुनो यार
"किसी पीर-फकीर की दरगाह नहीं है.
बात राज़ की है, किसी से कहना नहीं.
तुम ने जो गधा दिया था, वह मर गया था,
सो मैनें उसे ज़मीन में गाढ दिया. लोग पीर की दरगाह मान कर
पैसे चढाते हैं. माँ कसम वाकई इस गधे नें
मेरा साथ मरने के बाद भी नहीं छोडा. बहुत
बढिया चल रहा है." आप सुनाओ आपका
कैसा चल रहा है? वह बोला मेरा तो बढिया चलना ही है,
क्योंकि मेरे यहाँ जो कबर है,
वह इसकी माँ की है .....

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