सूखे हुए पत्ते की तरह झरते हैं कुछ लोग ,
खुद को भी बेचने से नहीं डरते हैं कुछ लोग !
तहजीब को मिट्टी का खिलौना समझते हैं ,
जब जी में आया तोड़ दिया करते हैं कुछ लोग !
ज़िन्दगी को उनसे बेहतर कौन समझेगा ,
लाश बन कर भी ज़मीं पर रहते हैं कुछ लोग !
नजदीकियाँ बढती हैं ख़यालात मिलने से ,
आँखों के रस्ते दिल में उतरते हैं कुछ लोग !
गाँव में पक्की सड़क होने के बावज़ूद ,
पगडंडियों , खेतों से ही गुजरते हैं कुछ लोग !
खुद को भी बेचने से नहीं डरते हैं कुछ लोग !
तहजीब को मिट्टी का खिलौना समझते हैं ,
जब जी में आया तोड़ दिया करते हैं कुछ लोग !
ज़िन्दगी को उनसे बेहतर कौन समझेगा ,
लाश बन कर भी ज़मीं पर रहते हैं कुछ लोग !
नजदीकियाँ बढती हैं ख़यालात मिलने से ,
आँखों के रस्ते दिल में उतरते हैं कुछ लोग !
गाँव में पक्की सड़क होने के बावज़ूद ,
पगडंडियों , खेतों से ही गुजरते हैं कुछ लोग !
No comments:
Post a Comment