थोड़ी मस्ती थोड़ा सा ईमान बचा पाया हूँ
ये क्या कम है मैं अपनी पहचान बचा पाया हू
मैंने सिर्फ़ उसूलों के बारे में सोचा भर था
कितनी मुश्किल से मैं अपनी जान बचा पाया हू
कुछ उम्मीदें, कुछ सपने, कुछ महकी-महकी यादें
जीने का मैं इतना ही सामान बचा पाया हूँ
मुझमें शायद थोड़ा-सा आकाश कहीं पर होगा
मैं जो घर के खिड़की रोशनदान बचा पाया हूँ
इसकी कीमत क्या समझेंगे ये सब दुनिया वाले
अपने भीतर मैं जो इक इंसान बचा पाया हूँ #
ये क्या कम है मैं अपनी पहचान बचा पाया हू
मैंने सिर्फ़ उसूलों के बारे में सोचा भर था
कितनी मुश्किल से मैं अपनी जान बचा पाया हू
कुछ उम्मीदें, कुछ सपने, कुछ महकी-महकी यादें
जीने का मैं इतना ही सामान बचा पाया हूँ
मुझमें शायद थोड़ा-सा आकाश कहीं पर होगा
मैं जो घर के खिड़की रोशनदान बचा पाया हूँ
इसकी कीमत क्या समझेंगे ये सब दुनिया वाले
अपने भीतर मैं जो इक इंसान बचा पाया हूँ #
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