Tuesday, April 13, 2021

 🌹शहीद दिवस 🌹

लिए होंठो पर मुस्कान चढ़े, वे फांसी के फन्दों पर
 ये देश सारा गर्व करे, भारत के इन बंदों पर
 'इंक़लाब' का नारा था औ' इंक़लाब ही लाना था
मौत का कैसा भय, वह देश का गजब दीवाना था।
अंग्रेजो के हिय में, भय का तूफान जो ला दिया
अंग्रेजी शासन भी, मुँह छिपाये तिलमिला गया।
सिंह की दहाड़ सुन जैसे सारा जंगल हिल जाता
भगतसिंह की आहट से, अंग्रेजी शासन घबराता।
देशभक्ति के मद में डूबा, वह बड़ा दीवाना था
हँसकर झूल गया  भगतसिंह मस्ताना था।
राजगुरु और सुखदेव भी साथ साथ मुस्कुराते चल दिये
जैसे वे निकले ही थे घर से, हथेली पर प्राण लिए।
सब शोक में थे डूबे, वह प्रेम गान का अभिलाषी था
देश के हृदय में जलने वाले, हजारों मशालों का साक्षी था।
 बसंती चोले को रंगने, वह मृत्यु-समर में कूद गया
एक हल्की सी आहट लिए, यह सूरज भी डूब गया।
कहा हम तो जाते हैं लेकिन ये वतन संभाल लेना
ये चोला बसन्ती दिल में, हाथो में कफ़न संभाल लेना।
ये मृत्यु तो सब एक शैय्या है, सबको ही सो जाना है
मृत्यु वह सार्थक हो, जिसे देश के काम आना है।
इंक़लाब कर चलते यारों, होंठो पर मुस्कान लिए
झूल गए वे फांसी पर, देश पर न्यौछावर जान किये।
ऐसे महान वीरो को, आओ हृदय से नमन करे
इंक़लाब का नारा और हिय में श्रध्दा सुमन लिए।
जय जय जय माँ भारती, तूने ऐसे वीरों को जन्म दिया
वीरो से भरी तेरी गोदी, जिन्होंने मुस्कुराकर विष पिया।

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