Friday, November 7, 2014

पाना है जो मुकाम वो अभी बाकी है.
अभी तो आए है जमीं पर .
आसमान की उडान अभी बाकी है.
अभी तो सुना है लोगो ने सिर्फ मेरा नाम.
अभी इस नाम कि पहचान बनाना बाकी है...



जब टूटने लगे होसले तो बस ये याद
रखना, बिना मेहनत के हासिल
तख्तो ताज नहीं होते, ढूंड लेना अंधेरों में
मंजिल अपनी, जुगनू कभी रौशनी के
मोहताज़ नहीं होते. !


कितने दूर निकल गए,
रिश्तो को निभाते निभाते..
खुद को खो दिया हमने,
अपनों को पाते पाते..
मिले जब चार कंधे तो दिल ने ये कहा मुझसे !
जीते जी मिला होता तो.....एक काफी था !!



अपनी जिंदगी के अलग असूल है���,
यार की खातिर तो कांटे भी कबूल हैं,
हंस कर चल दूं कांच के टुकड़ों पर भी,
अगर यार कहे, यह मेरे बिछाए हुए फूल हैं.

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