श्री गुरू नानक देव जी
## प्रकाश ##
*.जन्मः1469ईस्वी
*.जन्म स्थानः राये भौंए की तलवण्डी,ननकाणा साहिब(पाकिस्तान)
*.माता जी का नामः माता तृप्ता जी
*.पिता जी का नामः महता कालू जी
*.बहिन का नामः नानकी जी
*.विवाह कब हुआः1487
*.पत्नी का नामः सुलखनी जी (सुलक्षनी देवी जी)
*.कितनी सन्तान थीः दो पुत्र*
.सन्तानों का नामः 1. श्रीचन्द जी2. लखमीदास जी
*.बड़े पुत्र श्रीचन्द का जन्म कब हुआः1494
*.छोटे पुत्र लक्ष्मीदास का जन्म कब हुआः1496
*.अध्यापकों के नामः गोपाल दास,बृजलाल,मौलवी कुतुबददीन
*.कितनी प्रचार यात्राएँ(उदासियाँ)कीः4यात्राएँ
*.पहली प्रचार यात्रा कब कीः1497
*.दूसरी प्रचार यात्रा कब कीः1511
*.तीसरी प्रचार यात्रा कब कीः1516
*.चौथी प्रचार यात्रा कब कीः1518
*.गीता का पाठ कितनी उम्र में सुनाया थाः8वर्ष
*.पहली उदासीः सनातनी हिन्दू धार्मिक केन्द्रों की ओर
*.दूसरी उदासीः बौद्ध धार्मिक केन्द्रों की ओर
*.तीसरी उदासीः योगियों और नाथों के धार्मिक केन्द्रों की ओर
*.चौथी उदासीः इस्लामी धार्मिक केन्द्रों की ओर
*.गुरबाणी का बीज बोया
*.एक ओंकार की स्तुति
*.संगत-पंगत की स्थापना
*.गुरू परम्परा की शुरूआत
*.परमात्मा का नाम जपने को ही सच्ची आरती बताया।
*.मुख्य बाणीः श्री जपुजी साहिब जी(पाँच बाणी के पाठ में शामिल है)
*.बहिन नानकी के पति(जीजा)का नामः जैराम
*.बाणी में योगदानः974शबद19रागों में*.
मूलमँत्र के कर्ताधर्ता
*.दूसरा गुरू किसे बनायाः भाई लहणा(श्री गुरू अंगद देव जी)
*.सबसे पहले संगत या गुरूद्वारे की स्थापना श्री करतारपुर साहिब जी में की।
*.भाई मरदाना जी हर समय इनके साथ ही रहते थे।
*.सबसे पहला मिशनरी केन्द्र(मन्जी)भाई लालो के घर में जो कि पश्चिम पँजाब में है,स्थापित किया था।
*.उस पर्वत का नाम जहां पर सिद्धों से गोष्ठि हुई थीः कैलाश(सुमेर पर्वत)
*.सिद्धों के संवाद गुरबाणी में किस नाम से दर्शाए गए हैः सिद्ध गोष्ठि
*.किस शासक के समकालीन थेः बाबर
*.गुरू जी अपनी प्रचार यात्रा के दौरान जब गोरखमत्ता पहुँचे तो वहाँ के योगियों ने उस स्थान का नाम नानक मत्ता ही रख दिया।
*.कौनसा नगर बसायाः श्री करतारपुर साहिब जी
*.जोती-जोत कब समाएः1539
*.जोती जोत कहाँ समाएः श्री करतारपुर साहिब जी
MISSION CHARDIKALA
## प्रकाश ##
*.जन्मः1469ईस्वी
*.जन्म स्थानः राये भौंए की तलवण्डी,ननकाणा साहिब(पाकिस्तान)
*.माता जी का नामः माता तृप्ता जी
*.पिता जी का नामः महता कालू जी
*.बहिन का नामः नानकी जी
*.विवाह कब हुआः1487
*.पत्नी का नामः सुलखनी जी (सुलक्षनी देवी जी)
*.कितनी सन्तान थीः दो पुत्र*
.सन्तानों का नामः 1. श्रीचन्द जी2. लखमीदास जी
*.बड़े पुत्र श्रीचन्द का जन्म कब हुआः1494
*.छोटे पुत्र लक्ष्मीदास का जन्म कब हुआः1496
*.अध्यापकों के नामः गोपाल दास,बृजलाल,मौलवी कुतुबददीन
*.कितनी प्रचार यात्राएँ(उदासियाँ)कीः4यात्राएँ
*.पहली प्रचार यात्रा कब कीः1497
*.दूसरी प्रचार यात्रा कब कीः1511
*.तीसरी प्रचार यात्रा कब कीः1516
*.चौथी प्रचार यात्रा कब कीः1518
*.गीता का पाठ कितनी उम्र में सुनाया थाः8वर्ष
*.पहली उदासीः सनातनी हिन्दू धार्मिक केन्द्रों की ओर
*.दूसरी उदासीः बौद्ध धार्मिक केन्द्रों की ओर
*.तीसरी उदासीः योगियों और नाथों के धार्मिक केन्द्रों की ओर
*.चौथी उदासीः इस्लामी धार्मिक केन्द्रों की ओर
*.गुरबाणी का बीज बोया
*.एक ओंकार की स्तुति
*.संगत-पंगत की स्थापना
*.गुरू परम्परा की शुरूआत
*.परमात्मा का नाम जपने को ही सच्ची आरती बताया।
*.मुख्य बाणीः श्री जपुजी साहिब जी(पाँच बाणी के पाठ में शामिल है)
*.बहिन नानकी के पति(जीजा)का नामः जैराम
*.बाणी में योगदानः974शबद19रागों में*.
मूलमँत्र के कर्ताधर्ता
*.दूसरा गुरू किसे बनायाः भाई लहणा(श्री गुरू अंगद देव जी)
*.सबसे पहले संगत या गुरूद्वारे की स्थापना श्री करतारपुर साहिब जी में की।
*.भाई मरदाना जी हर समय इनके साथ ही रहते थे।
*.सबसे पहला मिशनरी केन्द्र(मन्जी)भाई लालो के घर में जो कि पश्चिम पँजाब में है,स्थापित किया था।
*.उस पर्वत का नाम जहां पर सिद्धों से गोष्ठि हुई थीः कैलाश(सुमेर पर्वत)
*.सिद्धों के संवाद गुरबाणी में किस नाम से दर्शाए गए हैः सिद्ध गोष्ठि
*.किस शासक के समकालीन थेः बाबर
*.गुरू जी अपनी प्रचार यात्रा के दौरान जब गोरखमत्ता पहुँचे तो वहाँ के योगियों ने उस स्थान का नाम नानक मत्ता ही रख दिया।
*.कौनसा नगर बसायाः श्री करतारपुर साहिब जी
*.जोती-जोत कब समाएः1539
*.जोती जोत कहाँ समाएः श्री करतारपुर साहिब जी
MISSION CHARDIKALA
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