Friday, November 7, 2014

ये किताबों के किस्से , ये फसानो की बातें ,
निगाहों की झिलमिल जुदाई की रातें|
महब्बत की कसमें , निभाने के वादे ,
ये धोखा वफ़ा का , ये झूठे इरादे |
ये बातें किताबी ,ये नज्में पुरानी ,
ना इन्की हकीक़त, ना इनकी कहानी|
न लिखना इन्हें , ना महफूज़ करना ,
ये जज्बे हैं बस, इनको महसूस करना..



कोई ये कैसे बताए कि वो तन्हा क्यों है
वो जो अपना था वो ही और किसी का क्यों है
यही दुनिया है तो फिर ऐसी ये दुनिया क्यों है
यही होता है तो आख़िर यही होता क्यों है



 देवदास की तरह जान मत दो यारो
प्यार को लात मारो
मेरी बात मानो
ना चंद्रमुखी ना पारो
रोज़ रात एक स्ट्रॉंग बियर मारो और
चैन से ज़िंदगी गुजारो…



इतनी पीता हू की मदहोश रहता हू.
सब कुछ समझता हू पर खामोश रहता हू
जो लोग करते ह मुझे गिराने की कोशिश
मे अक्सर उन्ही के साथ रहता हू|

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