Tuesday, November 11, 2014

बचपन में स्कूल की परीक्षा बहुत
सताती थी
एग्जाम के नाम से ही कंपकपी छूट
जाती थी।
अब जब असल जिंदगी में कदम रखा है
तो सोचती हूँ ......................................
स्कूल की परीक्षाएं कितनी आसान
थी
जिंदगी की मुश्किलों से
बिल्कुल अनजान थी।
होते थे कुछ सलेक्टेड चेप्टर्स
याद ना करने पर सुनने होते थे बस
लेक्चर्स।
हर क्वेश्चन का लिखा हुआ जवाब
होता था
हमारा काम बस उन्हें याद
करना होता था।
मार्क्स अच्छे आने पर
शाबासी मिलती थी
फेल हो जाने पर बस डांट
ही तो पड़ती थी।
पर जिंदगी की ये परीक्षा
कितनी बड़ी है
कभी ना खत्म हो वो मुश्किलें खड़ी है।
यहाँ ना तो कोई फिक्स सिलेबस
होता है
ना एग्जाम की तारीख का अता-
पता होता है।
रोज - रोज नए सवाल होते हैं
जिनके नहीं कोई जवाब होते हैं।
काश !
जिंदगी की परीक्षा भी उतनी आसान
होती
तीन घंटे का पेपर और छूटी हमारी जान
होती 

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