Monday, November 3, 2014

सूखते पत्ते ने डाली से कहा...
"चुपके से अलग करना"
वरना लोगों का रिश्तों से भरोसा उठ जाएगा


जंग-ए-मैदान था या कोई शमशान था..
मेरा रकीब मेरा लश्कर देख हैरान था..
सामने फ़ौज खड़ी थी हज़ार कातिलों की..
पीछे कोई नहीं फकत मेरा भगवान था.!!!



नाम छोटा है मगर दिल
बडा रखता हु | |
पैसो से उतना अमीर नही हु | |
मगर अपने यारो के गम खरिद ने
की हैसयत रखता हु | | |
मुझे ना हुकुम का ईक्का बनना है
ना रानी का बादशाह । हम जोकर
ही अच्छे हे। जिस के नसीब में आऐंगे
बाज़ी पलट देंगे।



कोई दौलत पर नाज़ करते हैं,
कोई शोहरत पर नाज़ करते हैं,
जिसके साथ आप जैसा दोस्त हो,
वो अपनी किस्मत पर नाज़ करते हैं.
"



 दुनियाँ की हर चीज ठोकर लगने से टूट जाया करती है दोस्तो...
एक "कामयाबी ही है जो ठोकर खा के ही मिलती है ...!



रिस्ते तोड देने से मोहब्बत खतम नहीं हौती..!
लोग याद तो उन्हें भी करते है..
जो दुनिया छोड जाते है..!!



: जिदंगी तेरे ख्वाब भी कमाल के है।
तू गरीबों को उन महलों के सपने दिखाती है;
जिसमें अमीरों को नींद नहीं आती।


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