Thursday, November 13, 2014

हाय रे ! महाभारत कथा
हरी शंकर तिवारी भागवत
कथा पढ़ने मैं मैं बहुत निपुण थे इसलिए इलाके भर मैं लोग
उन्हीं से कथा पढ़ाया करते थे भागवत कथा से प्राप्त दान
दक्षिणा से परिवार के भरण पोषण मैं कोई
परेसानी नहीं होती थी पूरा परिवार सुख चेन से जीवन यापन
कर रहा था . इलाके मैं अकेले कथावाचक होने के कारण पंडित
जी अधिकतर समय घर से बाहर ही गुजरता था .एक वार
पंडित जी छुट्टी मैं बैठ कर परिवारीजनों से गप्पे लड़ा रहे थे
तभी पत्नी एवं बच्चे महाभारत कि कथा सुनाने कि जिद्द
करने लगे . आप पूरे इलाके मैं महाभारत कि कथा सुनाते रहते
हो . आज हम लोग भी सुनेंगे . पंडित जी कथा सुनाने
को तैयार नहीं थे . काफी ना नुकर के बाद पंडित जी ने
कथा सुनाई . कथा समाप्त होने के बाद पंडित जी ( अपने बेटे
से ) - बेटा ज़रा गाय को चारा डालदो . ....बेटा.. - बेटा....
कैसा बेटा...किसका बेटा...???? पंडित जी ( आश्चर्य से ) -
ये क्या कह रहे हो बेटा मैं तुम्हारा पिता हूँ .... बेटा -
अभी आपने ही बताया है कि जब अर्जुन ने अभिमन्यु की मोत
से दुखी होकर हतियार दाल दिए थे तो कृष्ण ने
समझाया था कि यहाँ कोई किसी का रिश्तेदार नहीं है केवल
आत्मा अमर है लेकिन अर्जुन पुत्र मोह नहीं छोड़ पाया तब
कृष्ण अर्जुन को लेकर स्वर्ग लोक गए वहां अभिमन्यु
को घूमता देख अर्जुन ने कहा बेटा घर चलो , तुम्हारे वियोग
मैं घर बाले बहुत दुखी हैं . अभिमन्यु ने
कहा कैसा बेटा किसका बेटा , मैं तुम्हें पहचानता नहीं हूँ , ये
रिश्ते तो सांसारिक हैं पता नहीं तुम कितने जन्मों मैं मेरे बाप
हुए और न जाने हम कितने जन्मों मैं तुम्हारे बाप हए जाओ
यहाँ से जाओ ......लड़के की बातें सुनकर पंडित जी सोचने
लगे कि इस कथा से हमारा आज्ञाकारी पुत्र हमारे हाथों से
निकल गया है ..... अब पंडित जी बेटी को समझाया और
पुछा कि बेटी तुम्हें महाभारत कथा से क्या सीख
मिली ...बेटी - (गर्व से ) - मैं भी क्वारे मैं ही कुंती कि तरह
कर्ण जैसे योद्धा को जन्म दूंगी और वीर पुत्र
की माता कहलाउंगी . .... लड़की कि बात सुनकर पंडित जी के
पैरों तले जमीं निकल चुकी थी . ....पंडित जी ( उदास मन
से ) - गृहलक्ष्मी अब तुम बताओ कि तुम्हें इस कथा से
क्या सीख मिली . ....पत्नी ( घूरती हुयी ) - अब मैं तुम्हारे
जैसे भिक्मंगे के साथ हरगि नहीं रहूंगी मैं भी द्रोपती के
समान पांडवों के जैसे पांच शक्तिशाली आदमिओं
की पत्नी बनकर पांचाली कहलाउंगी . ... पंडित जी - ये तुम
सब क्या कह रहे हो , मैं तो पहले
ही कथा नहीं सुनाना चाहता था ,.. .. हम क्या पता कि इस कथा से हमारे
ही घर मैं कलह फ़ैल जायेगी . पंडित जी ( सर पीट पीट कर )
- हाय रे ! महाभारत कथा . ..

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