Sunday, January 11, 2015

 बीवियों का काम ही समझ नहीं आता, पता नहीं क्या दुश्मनी है पतियों से!
गर्मियों में तो झाड़ू मारने के लिए पंखा बंद कर देती थी;
और अब सर्दियों में पोछा सुखाने के लिए पंखा चला देती है।
😀😀😀


कुछ यारों को था परखा मैंने,
कुछ मुझको ही परख गए,
लाख बुरा किया कुछ रूठे नहीं,
कुछ बिन कहे ही बदल गए,
कुछ लुटाते थे जान मेरे पर,
कुछ आई मुसीबत तो सरक गए,
कुछ मुझसे बिछड़ कर खुश हुए,
कुछ मुझे देखने को तरस

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