Saturday, January 17, 2015

तेरे क़रीब आके बड़ी उलझनों में हूँ
मैं दुश्मनों में हूँ कि तेरे दोस्तों में हूँ ।

मुझसे बचना है तो हर रास्ता बदल
मैं राह का पत्थर हूँ तो सभी रास्तों में हूँ ।


मुझसे बिछड़ कर तू भी रोएगा उम्रभर
यह सोच ले कि मैं भी तेरी ख़्वाहिशों में हूँ ।

तू हँस रहा है मुझपे मेरा हाल देखकर
और फिर भी मैं शरीक तेरे कहकहों में हूँ ।



‬: रंजिश ही सही दिल ही दुखाने के लिए आ......
आ फिर से मुझे छोड़ के जाने के लिए आ ।

कुछ तो मेरे पिंदारे-मुहब्बत का भरम रख....
तू भी तो कभी मुझको मनाने के लिए आ ।

किस किस को बताएँगे जुदाई का सबब हम.....
तू मुझसे ख़फा है तो ज़माने के लिए आ ।

पिंदारे-मुहब्बत= मुहब्बत का गुरूर


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