Wednesday, January 14, 2015

 अब चलो ये भी ख़ता की जाए
दिल के दुशमन से वफ़ा की जाए

वो ही आए न बहारें आईं
क्या हुई बात पता की जाए

है इसी वक़्त ज़रूरत उसकी
बावुज़ू हो के दुआ की जाए

ज़ुल्म भरपूर किए हैं तूने
अब अनायत भी ज़रा की जाए

दर्दे-दिल है ये मज़ा ही देगा
दर्दे-सर हो तो दवा की जाए




 रोती हुई आँखो मे इंतेज़ार होता है​;
​ना चाहते हुए भी प्यार होता है​;​
क्यू देखते है हम वो सपने​;​
जिनके टूटने पर भी उनके सच होने​;​
का इंतेज़ार होता है​।




 प्यारी सी बातें तेरी मज़ा देती हैं.
दूरियाँ है दरमियाँ सज़ा देती हैं.
रोशनी बनके आई तू ज़िंदगी में इस तरह,
मस्त अदाए तेरी वफ़ा देती हैं.


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