Friday, January 30, 2015

 एक भोपाली दामाद अपनी ससुराल लखनऊ गया.. वो लखनऊ की तहज़ीब और तमीज़ के बारे में सुन सुन के पक गया था... तभी सास आई और पूछा
 !!:- क्या बैँगन शरीफ पका लूँ या आप मियां आलू नोश फरमाएंगे या फिर भिन्डी मोहतरम खाना पसंद करेंगे ?

भोपाली दामाद बोला : मैं गुनहगार बंदा हूँ। इन सब्ज़ियों के काबिल कहाँ। कोई बेगैरत सा मुर्गा पका लें !!





 Hai Agar Hamari Koi Khata Tu Sabit To Kar;
Agar Bure Hain Hum To Bura Saabit To Kar;
Tujhe Chaha Hai Humne Kitna, Tu Kya Jane;
Chal Hum Bewafa Hi Sahi, Tu Apni Wafa Sabit To Kar


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