एक भोपाली दामाद अपनी ससुराल लखनऊ गया.. वो लखनऊ की तहज़ीब और तमीज़ के बारे में सुन सुन के पक गया था... तभी सास आई और पूछा
!!:- क्या बैँगन शरीफ पका लूँ या आप मियां आलू नोश फरमाएंगे या फिर भिन्डी मोहतरम खाना पसंद करेंगे ?
भोपाली दामाद बोला : मैं गुनहगार बंदा हूँ। इन सब्ज़ियों के काबिल कहाँ। कोई बेगैरत सा मुर्गा पका लें !!
Hai Agar Hamari Koi Khata Tu Sabit To Kar;
Agar Bure Hain Hum To Bura Saabit To Kar;
Tujhe Chaha Hai Humne Kitna, Tu Kya Jane;
Chal Hum Bewafa Hi Sahi, Tu Apni Wafa Sabit To Kar
!!:- क्या बैँगन शरीफ पका लूँ या आप मियां आलू नोश फरमाएंगे या फिर भिन्डी मोहतरम खाना पसंद करेंगे ?
भोपाली दामाद बोला : मैं गुनहगार बंदा हूँ। इन सब्ज़ियों के काबिल कहाँ। कोई बेगैरत सा मुर्गा पका लें !!
Hai Agar Hamari Koi Khata Tu Sabit To Kar;
Agar Bure Hain Hum To Bura Saabit To Kar;
Tujhe Chaha Hai Humne Kitna, Tu Kya Jane;
Chal Hum Bewafa Hi Sahi, Tu Apni Wafa Sabit To Kar
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