कभी आंसू कभी खुशी बेची
हम ग़रीबों ने बेक़सी बेची
चंद सांसें खरीदने के लिये
रोज़ थोड़ी सी ज़िन्दगी बेची
आंख में पानी रखो, होठों पे चिंगारी रखो
जिंदा रहना है तो, तरकीबें बहुत सारी रखो
ले तो आये शायरी बाज़ार में राहत मियां
क्या ज़रूरी है के लहजे को भी बाज़ारी रखो
कभी कभी यूं भी हमने अपने जी को बहलाया है
जिन बातों को ख़ुद नहीं समझे औरों को समझाया है
हम से पूछो इज़्ज़त वालों की इज़्ज़त का हाल कभी
हमने भी इस शहर में रह कर थोड़ा नाम कमाया है
वही प्यास के अनगढ़ मोती, वही धूप की सुर्ख कहानी
वही आंख में घुटकर मरती, आंसू की खुद्दार जवानी
हम ग़रीबों ने बेक़सी बेची
चंद सांसें खरीदने के लिये
रोज़ थोड़ी सी ज़िन्दगी बेची
आंख में पानी रखो, होठों पे चिंगारी रखो
जिंदा रहना है तो, तरकीबें बहुत सारी रखो
ले तो आये शायरी बाज़ार में राहत मियां
क्या ज़रूरी है के लहजे को भी बाज़ारी रखो
कभी कभी यूं भी हमने अपने जी को बहलाया है
जिन बातों को ख़ुद नहीं समझे औरों को समझाया है
हम से पूछो इज़्ज़त वालों की इज़्ज़त का हाल कभी
हमने भी इस शहर में रह कर थोड़ा नाम कमाया है
वही प्यास के अनगढ़ मोती, वही धूप की सुर्ख कहानी
वही आंख में घुटकर मरती, आंसू की खुद्दार जवानी
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