अजीब चलन है दुनिया का-
दीवारों में आये दरार तो
दीवारें गिर जाती हैं...
पर रिश्तों में आये दरार तो
दीवारे खड़ी हो जाती हैं...!
: जो मुनासिब बात है
वो बात होनी चाहिये
दिन अगर छोटा है ,
लंबी रात होनी चाहिये ।
््््््््््््््््््््
हाथ में किस्मत के,
सारी ज़िंदगी तो सौंप दी
मौत अपनी है तो,
अपने हाथ होनी चाहिये ।
्््््््््््््््््््््
जितने ज्यादा शौक,
उतने रंज होने चाहिये
जितनी बड़ी शान हो,
उतनी बड़ी बारात होनी चाहिये ।
्््््््््््े््््््््््
आज उस वादाशिकन से,
दिल परेशां हो गया
थक चुकी है आंखें,
अब बरसात होनी चाहिये ।
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दीवारों में आये दरार तो
दीवारें गिर जाती हैं...
पर रिश्तों में आये दरार तो
दीवारे खड़ी हो जाती हैं...!
: जो मुनासिब बात है
वो बात होनी चाहिये
दिन अगर छोटा है ,
लंबी रात होनी चाहिये ।
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हाथ में किस्मत के,
सारी ज़िंदगी तो सौंप दी
मौत अपनी है तो,
अपने हाथ होनी चाहिये ।
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जितने ज्यादा शौक,
उतने रंज होने चाहिये
जितनी बड़ी शान हो,
उतनी बड़ी बारात होनी चाहिये ।
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आज उस वादाशिकन से,
दिल परेशां हो गया
थक चुकी है आंखें,
अब बरसात होनी चाहिये ।
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