Friday, January 30, 2015

किसी के काम जो आए उसे इंसान कहते है,
पैगाम ए इश्क फैलाए उसे इंसान कहते है,
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किसी के दुख और तकलीफ को महसूस करके खुद,
जिसकी आँख भर आए उसे इंसान कहते है,
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हुकूमत बाजुओं के ज़ोर पर तो कोई भी कर ले,
जो सबके दिल पे छा जाए उसे इंसान कहते हैं,
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वैर की आग से जलती हुई नफरत की खेती पर,
सुकून ओ चैन बरसाए उसे इंसान कहते हैं,
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किसी की बेवफाई से जब टूटा हुआ हो दिल,
तब आँसू पी के मुस्काए उसे इंसान कहते हैं,
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सिकंदर भी खाली हाथ ही जाते हैं दुनिया से,
जो कुछ नेकी कमा जाए उसे इंसान कहते हैं,
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राह ए जिंदगी में जब सहारे छूट जाएं सब,
कभी जो ना डगमगाए उसे इंसान कहते हैं,
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उलझन रोज़ आएगी है जब तक जिंदगी अपनी,
जो हर मसले को सुलझाए उसे इंसान कहते हैं,
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हर मुश्किल के पत्थर को बना कर सीढ़ियाँ अपनी,
जो मंज़िल पर पहुंच जाए उसे इंसान कहते हैं,
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