एक कुम्हार माटी से चिलम बनाने जा रहा था।
उसने चिलम का आकार दिया।थोड़ी देर में उसने
चिलम को बिगाड़
दिया।माटी ने पूछा ,अरे
कुम्हार तुमने चिलम अच्छी बनाई फिर बिगाड़
क्यों दिया?कुम्हार ने कहा कि अरे माटी पहले मैं
चिलम बनाने की सोच रहा था किन्तु
मेरी मति बदली और अब मैं सुराही या फिर
घड़ा बनाऊंगा।
ये सुनकर माटी बोली,रे
कुम्हार
तेरी तो मति बदली मेरी तो जिंदगी ही बदल
गयी।चिलम बनती तो स्वयं भी जलती और
दूसरों को भी जलाती,अब
सुराही बनूँगी तो स्वयम भी शीतल रहूँगी और
दूसरों को भी शीतल रखूंगी।
यदि जीवन में हम
सभी सही फैसला लें तो हम स्वयम भी खुश रहेंगे एवं
दूसरों को भी खुशियाँ दे सकेंगे।
उसने चिलम का आकार दिया।थोड़ी देर में उसने
चिलम को बिगाड़
दिया।माटी ने पूछा ,अरे
कुम्हार तुमने चिलम अच्छी बनाई फिर बिगाड़
क्यों दिया?कुम्हार ने कहा कि अरे माटी पहले मैं
चिलम बनाने की सोच रहा था किन्तु
मेरी मति बदली और अब मैं सुराही या फिर
घड़ा बनाऊंगा।
ये सुनकर माटी बोली,रे
कुम्हार
तेरी तो मति बदली मेरी तो जिंदगी ही बदल
गयी।चिलम बनती तो स्वयं भी जलती और
दूसरों को भी जलाती,अब
सुराही बनूँगी तो स्वयम भी शीतल रहूँगी और
दूसरों को भी शीतल रखूंगी।
यदि जीवन में हम
सभी सही फैसला लें तो हम स्वयम भी खुश रहेंगे एवं
दूसरों को भी खुशियाँ दे सकेंगे।
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